श्रीमती किशोरी जे. उदेशी ऐसी प्रथम महिला है, जिनकी नियुक्ति रिज़र्व बैन्क ऑफ इन्डिया के डेप्यूटी गवर्नर के रूप में हुई थी और स्टेट बैन्क ऑफ इन्डिया के बोर्ड के माध्यम से नामित होने पर आरबीआई के प्रथम एक्ज़िक्युटिव डिरेक्टर होने का भी गौरव उन्हें प्राप्त है। डेप्यूटी गवर्नर होने के तौर पर उनके पोर्टफोलियो में बैन्किंग और नोन-बैन्किंग क्षेत्र के नियमन और निगरानी का भी समावेश होता है। वह इन्टरनेशनल सेटलमेन्ट्स, स्वीट्ज़रलेन्ड के लिए बैन्क द्वारा बैन्किंग निगरानी हेतु स्थापित बेज़ल कमिटि में कोर प्रिन्सीपल्स लायज़न ग्रुप और कोर प्रिन्सीपल्स वर्किंग ग्रुप ऑन केपिटल का प्रतिनिधित्व करती हैं।
डेप्यूटी गवर्नर के तौर पर, वह सेबी, नाबार्ड और एक्ज़िम बैन्क के बोर्ड में थी और भारतीय रिज़र्व बैन्क नोट मुद्रण (प्रा.) लिमिटेड के चेयरपर्सन के रूप में भी सेवा प्रदान की है। डिपोज़ीट इन्स्योरन्स एण्ड क्रेडिट गेरंटी कॉर्पोरेशन के चेयरपर्सन के रूप में भी उनकी नियुक्ति की गई थी। उन्होंने दिसम्बर-2011 में इस ओफिस में से पदत्याग किया था। भारत सरकार ने जस्टिस श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में फायनान्शियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रीफोर्म्स कमिशन के एक सभ्य के तौर पर उनकी नियुक्ति की थी। महाराष्ट्र सरकार ने भी बोर्ड ऑफ ध इन्डियन रेडक्रोस सोसायटी, मुंबई में उन्हें नामित किया था। वह कई कम्पनियों में इन्डीपेन्डन्ट नोन-एक्ज़िक्युटिव डिरेक्टर के तौर पर भी कार्यरत है। उन्होंने बोम्बे युनिवर्सिटी में से अर्थशास्त्र विषय में एम.ए. किया हुआ है।
बर्जिस देसाई
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जे. सागर एसोसीएट्स के एक भूतपूर्व वरिष्ठ भागीदार, श्री देसाई अभी एक निजी वकील है। वह कोर्पोरेट और मर्केन्टाइल कानूनों के विशेषज्ञ है और वह वर्ष-1980 से प्रेक्टिस कर रहे है। वर्ष-1997 से वर्ष-2003 दौरान, वह उदवाडिया, उदेशी एण्ड बर्जिस के मैनेजिंग पार्टनर थे। अभी श्री देसाई, इन्डियन काउन्सिल ऑफ आर्बीट्रेशन और लंडन कोर्ट ऑफ इन्टरनेशनल आर्बीट्रेशन की आर्बीट्रेटर्स की पेनल में है। उन्होंने ‘इन्डियन डेइली’ में भी एक पत्रकार के तौर पर कार्य किया है और वह अमेरिकन आर्बीट्रेशन एसोसिएशन के एसोसिएट मैम्बर और आईसीसी-इन्डिया और ध बोम्बे-इन्कोर्पोरेट लॉ सोसायटी के सभ्य भी है। हाल ही में, वह कई कोर्पोरेट्स में नोन-एक्ज़िक्युटिव इन्डीपेन्डन्ट बोर्ड मैम्बर के तौर पर बोर्ड के पदों पर है।
पी. एच. रविकुमार
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वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में चार दशकों के अनुभव के साथ वह एक कोमर्शियल बैन्कर है। श्री रविकुमार, वास्तु हाउसींग फायनान्स में एक नोन-एक्ज़िक्युटिव डिरेक्टर है। वह एक ऐसी कोर टीम का हिस्सा थे, जिसने आईसीआईसीआई बैन्क लिमिटेड की स्थापना व निर्माण किया था। वह उनकी टीम के सहयोग से नेशनल कोमोडिटिज़ एण्ड डेरीवेटीव्ज़ एक्सचैन्ज लिमिटेड में फाउन्डर, मैनेजर और सीईओ के पद पर रहे और सेवा प्रदान की। इन्डियन इन्स्टीट्यूट ऑफ बैन्कर्स और चार्टर्ड इन्स्टीट्यूट ऑफ बैन्कर्स, लंडन के एक एसोसीएट के रूप में व्यावसायिक योग्यता के साथ एक कोमर्स ग्रेज्युएट है। वह ध सिक्योरिटीज़ इन्वेस्टमेन्ट्स इन्स्टीट्यूट, लंडन के एक अध्येता भी है।
बोबी परीख
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बोबी परीख, ‘बोबी परीख एसोसीएट्स’ नामक बुटिक फर्म के संस्थापक है, वह स्ट्रेटेजिक टैक्स और रेग्युलेटरी एडवाइज़र सर्विसीज़ प्रदान करते है। उनके कार्य का प्राथमिक विस्तार आंतरिक, बाह्य या पूर्णरूप से स्थानिक संस्थाओं के व्यवहारों और व्यापार पुनर्गठन के अन्य स्वरूपों के संबंध में टैक्स और नियमनकारी सलाह प्रदान करने का है। बोबी विस्तृतरूप से प्राइवेट इक्विटी फंड्स, अन्य संस्थाकीय निवेशकों और व्यापारों के मालिकों और मैनेजरों के साथ कार्य करते हैं। वह नए नियमनों और नीतिओं की रचना में सहाय करने के लिए सलाह प्रदान करने के संबंध में नियमनकर्ताओं और नीति-निर्माताओं के साथ जुड़े हुए हैं। बोबी, बीएमआर एडवाइज़र्स के सह-संस्थापक भी रह चुके हैं, वह बहुत ही सन्माननीय कराधान एवं लेन-देन संबंधित फर्म है, जिसमें उन्होंने फर्म की स्थापना करने और 12 वर्ष तक चलाने में सहाय की थी। पहले वह भारत में अर्न्स्ट एण्ड यंग में चीफ एक्ज़िक्युटिव ओफिसर और आर्थर एन्डरसन में मैनेजिंग डिरेक्टर रह चुके हैं। बोबी, बहुत सारे ट्रेड और बिज़नेस एसोसीएशन्स और नोन-गवर्न्मेन्टल, नोट-फोर-प्रोफीट ओर्गेनाइज़ेशन्स और निजी एवं लिस्टेड इन्डियन कम्पनियों के एडवाइज़री और एक्ज़िक्युटिव बोर्ड्स के सदस्य भी रह चुके हैं। वह मुंबई युनिवर्सिटी के एक कोमर्स ग्रेज्युएट हैं और एक प्रतिष्ठित चार्डर्ड एकाउन्टन्ट भी है।
केनेथ एन्ड्रेड
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केनेथ एन्ड्रेड, ओल्ड ब्रिज केपीटल मैनेजमेन्ट के फाउन्डिंग डिरेक्टर और चीफ इन्वेस्टमेन्ट ओफिसर के ओहदे पर हैं। उन्हें इन्डियन केपीटल मार्केट्स में 26 वर्ष का व्यापक अनुभव हैं। उनके कार्य के मुख्य विस्तारों में पोर्टफोलियो मैनेजमेन्ट और इन्वेस्टमेन्ट रिसर्च का समावेश होता है। इससे पहले, वह आईडीएफसी एसेट मैनेजमेन्ट में चीफ इन्वेस्टमेन्ट ओफिसर थे, जहां उन्होंने 9 बिलियन अमेरिकन डोलर्स के कोर्पस की देखरेख की। उनकी अगुआई में, आईडीएफसी एसेट मैनेजमेन्ट को भारत में सबसे अधिक विकासशील म्युच्युअल फंड हाउस के स्वरूप की श्रेणी प्राप्त हुई थी। आईडीएफसी एसेट मैनेजमेन्ट के साथ उनके कार्यकाल से पूर्व वह कोटक महिन्द्रा एसेट मैनेजमेन्ट में पोर्टफोलियो मैनेजर का ओहदा संभालते थे और उन्होंने दोनों संस्थाओं के लिए एसेट मैनेजमेन्ट बिज़नेस के विकास में एक प्रमुख संसाधन के तौर पर सेवा प्रदान की है। वह एन. एम. कॉलेज ऑफ कोमर्स एण्ड इकोनोमिक्स, मुंबई युनिवर्सिटी में से कोमर्स ग्रेज्युएट हैं।