नियोक्ताओं, बीमाकर्ताओं और अन्यों के साथ बकाया राशि के निपटान के लिए संबंधित सत्ताधिकारियों के साथ बातचीत करना, जोकि ईपीएफ दावों तक ही सीमित नहीं है और उसके साथ ड्यूटी के दौरान मृत्यु की वजह से और निर्दिष्ट स्थितियों में होनेवाले अन्य आकस्मिक दावें भी शामिल हैं।